क्या खूब राम राज आया है। थाली में नमक है, हाथ में रोटी है और रामराज्य के तरानों के बीच मासूम मुल्क की भूख मिटाती एक तस्वीर है। ये उसी उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की तस्वीरें हैं जिस प्रदेश की सियासत में भगवा का परचम लहरा रहा है। इसी मिर्जापुर के एक प्राथमिक स्कूल में मुल्क का भविष्य बरामदे की नंगी जमीन पर बैठाया जाता है।
चूंकि किसी साहब का दौरा नहीं था लिहाजा बच्चों के लिए एक अदद दरी तक बिछाई न जा सकी।
साहब नहीं आने वाले थे लिहाजा बच्चों को एक ही प्लेट में सब कुछ परोस दिया गया।
लेकिन जो परोसा गया वो इस देश के माथे पर कलंक है। कलंक है लाल किले से होने वाले उन दावों पर जो इस देश में गुलाबी मौसम की तस्दीक करते हैं। कलंक है इस देश की संसद के सदनों में अठ्ठाहास करती सत्ता की मंडलियों पर। कलंक है गांधी, पटेल, नेहरु, इंदिरा, राजीव, अटल जैसों की नीतियों पर।
क्या हम अपने नौनिहालों को नमक और रोटी का भविष्य देने के लिए जिंदा हैं।
जी, यही तो परोसा गया इस मुल्क के भावी रहनुमाओं की थाली में। नमक और रोटी। बच्चे सिर झुकाए खाते रहे। चुपचाप खाते रहे और इस बात से बेखबर कि उनका यूं सिर झुकाए थाली में परोसी सूखी रोटी को नमक के साथ खाना इस मुल्क के करोड़ों स्वाभिमानी नागरिकों को सदियों की जिल्लत एक साथ महसूस करा देगा। डूब गया शर्म से ये देश। शर्म से गड़ जाने का मुहावरा भी इन तस्वीरों के सामने बेबस है।
कराह रही है कलम, जुबानें चुप हो जाती हैं। हाथ कांपने लगते हैं, नारे खामोश हो जाते हैं। कैसे कहा जाए इस मुल्क की इस बेबसी को। कि 21वी सदी के नए भारत में देश के सबसे बड़े सूबे के एक प्राथमिक विद्यालय के बच्चों का मुस्तकबिल नमक और सूखी रोटी है।
ये वही नमक है जिसपर गोरी हुकूमत के एकाधिकार के खिलाफ 1930 में गांधी ने सत्याग्रह किया। मुट्ठी में नमक उठाया और चूर चूर कर दिया अंग्रेजों का दंभ। लेकिन इस मुल्क को क्या पता था कि गांधी ने जिस सफेद नमक पर भारतीयों का अधिकार साबित किया उसी की कालिख अंग्रेज नहीं बल्कि हिंदुस्तानी ही हिंदुस्तानियों के मुंह पर मल देंगे ।
फिर इस मुल्क और नमक का मेल तो पुराना रहा है। इतना पुराना कि शायद मुंशी प्रेमचंद के नमक के दरोगा वंशीधर को जमींदार अलोपीदीन की रिश्वत भी मिर्जापुर में आकर कम पड़ जाए।
फिर इस नमक के हक की अदायगी के दस्तूर में इस मुल्क में बदलने लगे हैं। क्योंकि सरकार को, साहब को, सियासत को याद आया कि बच्चों की थाली में नमक और रोटी की तस्वीर खींचने की जुर्रत करने वाले पत्रकार इस रामराज्य के लिए खतरा हैं। खतरा है वो वीडियो जो ये दिखा दे कि मुल्क के रहनुमाओं की लाल कालीन और मखमली पर्दे की हकीकत दरअसल में है क्या। लिहाजा नमक रोटी की दास्तां दिखाने वाले पत्रकार पर ही मुकदमा दर्ज हो गया।
जी यही है तो रामराज्य, जब सियासत को लगे कि नमक रोटी खाते बच्चों की तस्वीर से उसकी छवि खराब होती है, जब उसे लगे कि पत्रकार ने नमक रोटी खाते बच्चों की तस्वीर खींच कैसे ली। सियासत ये मान ले कि जो वो कर रही है वो भूतो न भविष्यति है। तो मान लीजिए की रामराज्य आ ही गया। क्या फर्क पड़ता है कि आप जय श्री राम बोलते हैं या फिर हे राम।