जोशीमठ के लोगों का डर भगाने का सरकारी फार्मूला सुना आपने? सेटेलाइट घुमाओ, तस्वीर हटाओ, मुंह बंद कराओ

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joshimathक्या आपको पता है कि आपके बैंक खाते में 15 लाख रुपए आ गए हैं?  जाइए और अभी चेक करिए…

अपना बैंक स्टेटमेंट निकलवाइए…

इस पैसे को कैसे और कहां इंवेस्ट करना है इसकी प्लानिंग बनाइए….

ये सब हो जाए तो अपने आसपास के उन पड़ोसी मकान मालिकों के साथ जश्न मनाइए जो कभी किराए के मकानों में रहते थे लेकिन केंद्र सरकार की मदद से अब हर परिवार का अपना मकान है लिहाजा हर कोई मकान मालिक है…

जब आप जश्न मनाने के लिए निकलेंगे तो आपको रास्ते में खेत खलिहान दिखेंगे….उसमें काम करते किसान दिखेंगे….उन्हें भी चाहें तो साथ ले सकते हैं क्योंकि 2022 बीत चुका है और किसानों की आय अब दोगुनी हो चुकी है…लिहाजा इस जश्न में थोड़ा हिस्सा उनका भी है…..

इतना सारा जश्न आप दिल खोल कर मनाइए….

जश्न इस बात का भी मनाइए कि देश में काला धन है नहीं….है तो सरकार को पता ही नहीं है….

जश्न इस बात का भी मनाइए कि इस देश में बेरोजगारी, महंगाई, महंगा इलाज, महंगी पढ़ाई जैसी अब कोई मुश्किल नहीं है….

आप विश्वगुरु बन चुके हैं।

मैं आपको ये बातें क्यों बता रहा हूं….

तो सुनिए कि मैं आपके भीतर किसी डर के आने के ख्याल से भी डरा हुआ हूं।

मैं नहीं चाहता कि आप किसी भी डर से डर जाए और डर कर थर थर कांपने लगें।

लिहाजा आपको इस डर से बचाने के लिए बेहतर यही होगा कि डर के डर को भी दूर कर दिया जाए।

इस डर वाले रास्ते पर आपको जिनका भी डर हो उन सभी को डर वाले रास्ते से डरा कर भगा भी देना चाहिए…..

डर डर डर डर करते हुए ऐसा लगता है मानों हम पिछले कुछ सालों में इतने डर चुके हैं कि सिर्फ टर्र टर्र करने के अलावा हमे कुछ और कहना पड़ जाए तो हम डरने लगते हैं….

ये ठीक वैसा ही डर है जैसा जोशीमठ के लोगों के दिल में भर गया जब उन्होंने इसरो की उन सेटेलाइट तस्वीरों के बारे में जाना सुना जिसमें बताया गया था कि महज 12 दिनों में जोशीमठ की जमीन 5.4 सेंटीमीटर तक धंस गई…

भले ही जमीन वाकई में धंसी हो….

भले ही इसरो वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर अपनी रिपोर्ट रख रहा हो लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों ने क्या इस रिपोर्ट को रखने से पहले डर के बारे में सोचा…..

नहीं सोचा न….तो ये रिपोर्ट हटानी ही पड़ेगी….क्योंकि जमीन धंस जाए…..मकानों में दरारें आ जाएं….आपकी जिंदगी भर की जमापूंजी इन घरों की दरार भरी दीवारों में समा जाए

आपको ये न पता हो कि अपना अपना बचपन जिस जोशीमठ में गुजारा….

उसी जोशीमठ में आप अपना बुढ़ापा गुजार पाएंगे या नहीं

लेकिन आपको इसरो की सेटेलाइट तस्वीरें वाले डर से बचाना सरकार की पहली जिम्मेदारी है और सरकार भले ही कोई और जिम्मेदारी उठा पाए या नहीं लेकिन इस डर से बचाने के लिए इसरो की सेटेलाइट तस्वीरें हटाना जरूरी है….

जरूरी ये भी है कि जोशीमठ के प्रभावितों तक या फिर इस देश के आम नागरिक तक जोशीमठ से जुड़ी खबरें तब तक न पहुंचे जब तक उसे सरकारी तराजू में तौल न लिया जाए…

अगर कोई केंद्रीय एजेंसी का कोई अधिकारी जोशीमठ में मीडिया को कोई बयान दे देगा तो इससे फिर एक बार डर फैलने का डर है….लिहाजा इस डर से बचाने के लिए सरकार ने जो रास्ता बनाया उसमें न तो बयान होंगे, न कोई डर होगा…..

सोचिए कि कितना अच्छा होगा कि न जोशीमठ की कोई खबर ही मीडिया में आती…. न जोशीमठ के लोगों को पता चलता कि उनके ही घरों में दरारें आईं हैं और न ही उन्हें डर का सामना करना पड़ता….

कितना गलत होता है कि डर फैलाने वाली खबरें बाहर आ जाती हैं और जोशीमठ के लोगों में दिलों में डर बैठ जाता है…..

कितना अच्छा होगा कि कल कोई सरकारी बयान आएगा जिसमें कहा जाएगा कि जोशीमठ में डर के मारे पहाड़ फिर अपनी पूर्व स्थिती में चले गए हैं और अब कोई दरार नहीं है और जो कुछ भी देखा या दिखाया गया वो सब डर के चलते दिखा …

जी डर ऐसा ही होता है….आपको….हमको….हम सबको….जोशीमठ के लोगों को डरना चाहिए….क्योंकि डर जरूरी होता है…..

मैंने भी डरते डरते ही ये सब कहा सुना है….

नमस्कार

 

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