एक कविता

सड़क पर बिखरी धूप सावो अक्सर मेरे साथ रहता हैयहाँ वहांहवा के हर झोंके मेंवो मिलता हैमेरे टूथब्रश और मेरी तौलीया मेंउसकी महक होती हैचादर कि सिलवट और तकिये परवो…

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अतीत के पन्ने साँझ ढलते ही तेज़ी से बंद कर लेते हो तुम अपने मन के कमरे के दरवाज़े फिर पलटते हो पन्ने सुनहरी यादों के और मैं ……….. तुम्हारी…

एक लम्ब्रेटा के नज़ारे का सुख

तपती दोपहर में एक सुनसान सड़क पर बीते दौर के हो चुके लम्ब्रेटा स्कूटर को फर्राटा मारते देखना मेरे लिए एक सुखद अनुभव कि तरह था…..हालाँकि मुझे इस सड़क पर…

एक लम्ब्रेटा के नज़ारे का सुख

तपती दोपहर में एक सुनसान सड़क पर बीते दौर के हो चुके लम्ब्रेटा स्कूटर को फर्राटा मारते देखना मेरे लिए एक सुखद अनुभव कि तरह था…..हालाँकि मुझे इस सड़क पर…

बाजारू चीथड़ों में मुस्कुराती मीडियावी भोजपुरी

(इस लेख में मीडिया का तात्पर्य इलेक्ट्रानिक मीडिया से है)लगभग डेढ़ सालों से भोजपुरी में पत्रकारिता करते हुए इस बात का एहसास शायद ही कभी हुआ हो कि गाँव दुआर…

होली तो बाज़ार मांगती है

फाल्गुन के बारे में जितना कहा जाये उतना कम ही होता है……अभी तक न जाने कितने कवियों ने अपनी लेखनी को इस फल्गुम के मौसम के नाम कर दिया है……फाल्गुन…

ज़रुरत भूतवाद कि है

यह एक अजीब नज़ारा था….यह वही शहर है जिसे लोग आधुनिक इतिहास के लिहाज से सबसे पुराना जीवंत शहर कहतें हैं… वही शहर जो कई मायने में बेहद खूबसूरत है…..कहतें…

कुछ उधार के मौसम ले आयो..

कुछ उधार के मौसम ले आयो..बहुत दिन हुएयहाँ कोई मौसम नहीं आया….ना कभी जेठ कि दोपहर से बचने के लिएकिसी नीम का सहारा लिया…..ना कभी बारिश में भीगने कोमैदान में…