ख़ामोशी
अक्सर चुप सी बैठ जाती है ख़ामोशी और मुझसे कहती है बतियाने के लिए कहती कि आज तुम बोलो मैं सुनना चाहती हूँ शब्द ही नहीं मिलते हैं मुझको उससे बात करने के लिए चुप सा रह जाता हूँ बस फटी आँखों से देखता हूँ वो कहती कि तुम भी अजीब हो मुझे में ही समो जाते हो खामोश हो जाते हो बस खिलखिलाकर हंस देती है …
