क्या होता है प्रोटोकॉल, जानते हैं आप? नहीं जानते न? बहुत सी लाशें हैं जो बिना प्रोटोकॉल के ही श्मशान तक पहुंच गईं।
यूं तो लाशों की बात लिखनी तो सबसे अंत में चाहिए थी लेकिन नथुनों में भरी इंसानी लाशों की गंध आपको रुकने नहीं देती तो कलम अपने आप सबसे पहले यही पंक्ति लिख देती है। कलम को भी शायद प्रोटोकॉल नहीं आता।
अस्पतालों के बाहर एडमिट होने की राह देख रहे मरीज भी प्रोटोकॉल का फॉलो करें तो आधे तो अस्पताल के बाहर ही ठीक हो जाएंगे। तीमारदारों का भी प्रोटोकॉल के तहत सरकारों पर भरोसा बनाए रखना जरूरी हैं। सबको फटाफट ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, रेमडिसिविर, सब मिल जाएगा। यही तो जादू है प्रोटोकॉल का।


