संजय दत्त और सवालात
संजय दत्त अब लखनऊ से समाज वादी पार्टी के तिक्जेत पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं…..कदम बढ़ते हुए उन्होंने अपना रोड शो भी शुरू कर दिया है….उनका साथ दे रहीं हैं उनके पत्नी मान्यता……एक सवाल बार बार मन में आता है की आख़िर कार संजू बाबा को चुनाव लड़ने की क्या आवशकता पड़ गई …कुछ लोग हालाँकि यह भी कहतें हैं की चुनाव तो कोई भी लड़ सकता है…ठीक बात …लेकिन फ़िर भी कोई कारन तो होगा ही …शायद मुन्ना भाई अब लोगों की सेवा करना चाहते हैइसीलिए चुनाव लड़ रहें हैं…लेकिन सवाल फ़िर उठा की क्या जनसेवा के लिए जन प्रतिनिधि होना ज़रूरी है….क्या इसके बिना सेवा नही हो सकती ? चलिए आप सवाल का जवाब सोचिये तब तक एक और सवाल हाज़िर है ….

संजू बाबा को राजनितिक पार्टी के टिकेट की क्यों ज़रूरत पड़ी ….वोह तो इस देश में ख़ुद बहुत पापुलर हैं… आम भारतीय तो आप को जानता ही है ….फ़िर राजनितिक दलों का सहारा क्यों? यह एक और सवाल….अब सवाल एक और उठता है कि समाज वादी पार्टी ही क्यों….कोई औ र दल क्यों नही….जबकि उनका परिवार( पता नही अब उनका रहा कि नही ) तो पुराना कांग्रेसी है ….फ़िर ये सपाई क्यों….चलिए इसी लगे एक और सवाल खड़ा होता है कि चुनाव के लिए लखनऊ ही क्यों….मुंबई या महाराष्ट्र में कोई जगह क्यों नही….क्या वहां रह कर देश कि कथित सेवा नही कि जा सकती है….क्या सारे सेवाथियों कि लिए उतेर प्रदेश ही बचा है…जबकि सब जानते हैं कि लखनऊ से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपाई चुनाव लड़तें हैं….यह एक और सवाल था …लगे हाथों एक सवाल और हो जाए….जब चुनाव लड़ना ही है तो लाडो …यह कहने कि क्या ज़रूरत कि अगर अटल बिहारी लडेंगे तो मैं नही लडूंगा…..लड़िये लड़िये….बहुत सवाल हो गए अब एक बात याद दिला रहा हूँ एक बार अमिताभ बच्चन ने भी राजनीती मे आने कि कोशिश कि थी उनका क्या हाल हुआ यह सब जानते है…….

जय भारत