मैं आज भी खुद कि तलाश में रहा
मेरा अक्श कभी किसी
टहनी से टूटी मुरझाई पत्ती तो
कभी किसी खिलखिलाते पलाश में रहा
ले गए वोह मेरा नाम, मेरा सामान
मुझसे जुडी हर चीज़ कि शुरुआत
हर अंजाम
पर मैं पास मेरे एहसास में रहा
ना जाने कितने मंदिरों,
कितनी मस्जिदों में कच्चे धागे
बाँध डाले
अब जाना कि मेरा खुदा
हर बार मेरे पास में रहा
इल्ज़ाम मत देना कि मैं नहीं आया
एक धूप का गुजरना
इस साए के साथ में रहा …..
