पर्यावरण के प्रति हमारी सोच किसी भी सूरत से बेहतर नहीं कही जा सकती है। हमारे विकास के मॉडल में ही खोट नजर आता है। अब तो पर्यावरण बचाने की मुहिम में भी झोल नजर आने लगे हैं। ना जाने क्यों लेकिन पर्यावरण बचाने की हमारी ऐसी मुहिम कारगर हो भी पाएंगी इसमें शक लगता है।
दक्षिण भारत के योगी, कवि और ईशा फाउंडेशन के कर्ता धर्ता और पर्यावरणीय मसलों पर मुखर रहने वाले सद्गुर इन दिनों रैली फॉर रीवर निकाल रहें हैं। ये रैली कोयम्बटूर से तीन सितंबर को शुरु हो चुकी है। पहले ये कन्याकुमारी गई और अब वहां देश के कई शहरों से होते हुए दो अक्टूबर को चंडीगढ़ में खत्म होगी। इस दौरान ये रैली 7000 किलोमीटर का सफर तय करेगी। इस रैली का मकसद भारत की नदियों को सूखने से बचाने के लिए उनके किनारों पर पेड़ लगाने के लिए लोगों को जागरुक करना है।
सद्गुरू की इस रैली में दस suv गाड़ियों का प्रयोग हो रहा है जो निश्चित तौर पर चलेंगी। हो सकता है कि कुछ समय के लिए कुछ और गाड़ियां इस काफिले में जुड़ती हटती रहें लेकिन दस गाड़ियां तो निश्चित हैं। सद्गुरू की रैली में चलने वाली गाड़ियां मुख्य रुप से डीजल चलित हैं। जाहिर है कि इन गाड़ियों से बड़ी मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड निकलेगा। अब सात हजार किलोमीटर का हिसाब लगाया जाए तो रैली में शामिल गाड़ियों से इतना प्रदूषण होगा जिसे दूर करने के लिए तकरीबन आठ लाख पेड़ लगाने पड़ेंगे।
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि सदगुरू ने जिस मसले को उठाया है वो वाकई में देश के लिए एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। सदानीरा नदियां भी अब सूखने लगीं हैं। इन नदियों को बचाने के लिए हमारे पास कोई प्रबंध तंत्र नहीं है। लेकिन सद्गुरू का आवाज उठाने का तरीका कुछ खास लगा नहीं। अच्छा होता कि वो नदियों के किनारे पैदल मार्च करते और लोगों को जागरुक करते। लेकिन लगता है कि सद्गुरू कुछ जल्दी में हैं।
फिलहाल आप the quint का ये वीडियो देख सकते हैं जो आपके सद्गुरू की रैली के बारे में सिलसिलेवार बताएगा।