ये दुनिया बेमिसाल जज्बा रखने वालों से भरी पड़ी है। आप तलाशने निकलेंगे एक को तो सौ मिलेंगे। ऐसी ही एक बेमिसाल जज्बे की नायाब नजीर हैं भारत की दो महिलाएं। एक हैं बंगलुरू की डाक्टर राजलक्ष्मी और दूसरी हैं नोएडा की प्रिया भार्गव। ये दोनों ही महिलाएं हर उस शख्स के लिए मिसाल हैं जो व्हील चेयर पर बैठने के बाद अपनी जिंदगी को खत्म समझने लगते हैं।
ये दोनों ही महिलाएं पोलैंड में अगले महीने होने वाली मिस वर्ल्ड व्हील चेयर में हिस्सा लेने जा रहीं हैं। डाक्टर राजलक्ष्मी जब 21 साल की थीं तो उनका एक रोड एक्सीडेंट हो गया। स्पाइनल इंजरी की वजह से राजलक्ष्मी पैरों से अपंग हो गईं लेकिन दिल दिमाग से नहीं। डाक्टर राजलक्ष्मी ने अपनी डेंटिस्ट की पढ़ाई पूरी की और फिलहाल आर्थोडेंटिस्ट के तौर पर कार्य कर रहीं हैं।
डाक्टर राजलक्ष्मी समाज में व्याप्त उस अवधारणा को ठीक नहीं समझती जो व्हील चेयर पर चलने वालों को कमतर आंकती है। डा. लक्ष्मी शारीरिक अपंगता से अधिक मानसिक अपंगता को खतरनाक मानती हैं। डाक्टर लक्ष्मी विशेष रूप से उनके लिए बनाई गई कार में लांग ड्राइव पर जाती हैं और टेनिस खेलती हैं।
ऐसी हीं एक अन्य महिला हैं प्रिया भार्गव। पेशे से टीचर प्रिया बेहद खूबसूरत हैं और मिस इंडिया व्हीलचेयर 2015 का खिताब जीत चुकी हैं। अब प्रिया की निगाहें पोलैंड में होने वाले खिताबी मुकाबले पर हैं। जल्द ही प्रिया पोलैंड के लिए रवाना होने वाली हैं। हालांकि पैसों की दिक्कत के चलते उन्हें खासी परेशाानियां हो रहीं हैं। अपने दोस्तों से मदद की उम्मीद लगाए बैठीं प्रिया पुरजोर कोशिश कर रहीं हैं कि खिताब अपने नाम कर सकें।
ये दोनों ही महिलाएं अपने दम पर उस समाज को आईना दिखा रहीं हैं जो अपंगता को एक अभिशाप के तौर पर लेता है। भेदभाव भरे नजरिए के खिलाफ ये एक खूबसूरत खिताबी लड़ाई है।