ये कहानी भारतीयों के लिए शर्मसार करने वाली हो सकती है। आस्ट्रेलिया के फोर कार्नर्स मीडिया समूह के जरिए अडानी समूह की भारत और ऑस्ट्रेलिया में कामकाज पर बनाई रिपोर्ट कई हैरतअंगेज खुलासे करती है। हालांकि ये भी सच है कि भारतीय मीडिया समूहों के ‘गिरोह’ में आपको ऐसी खबरें न मिलें। मैं भी इस खबर को इसलिए नहीं ला रहा क्योंकि ये रामरहीम के बेडरूम जर्नलिस्टों की खोजी आंख से बच कर निकल गई। मैं इसलिए भी नहीं ला रहा क्योंकि मेरा अडानी या ‘फिलहाल’ सरकार में बैठे नरेंद्र मोदी से कोई दुश्मनी है। हां, लेकिन मोदी हो या मनमोहन, सच सामने आता रहना चाहिए। फिलहाल आगे बढ़ते हैं।
‘अच्छे दिनों’ की नुमाईश ‘देश के सबसे अधिक विकसित’ राज्य में हो रही है। दरअसल इस दास्तान के समझने से पहले ये जानना जरूरी है कि भारत के बड़े उद्योगपतियों में से एक गौतम अडानी को ऑस्ट्रेलिया में कोल ब्लॉक अलॉट किए गए हैं। ऑस्ट्रेलिया में इस कोल ब्लॉक के आवंटन को लेकर खासी चर्चा हो रही है। ऑस्ट्रेलिया की इन्हीं चर्चाओं ने वहां के पत्रकारों को भारत में अडानी के कामकाज की पड़ताल करने के लिए भेज दिया। इसी का नतीजा हुआ कि ऑस्ट्रेलिया के एबीसी चैनल के पत्रकार स्टीफन लांग अपने प्रोग्राम फोर कार्नर्स के लिए भारत पहुंच गए। स्टीफन गुजरात में मुंद्रा पहुंचे जहां अडानी समूह ने अपना प्रोजेक्ट लगा रखा है।
आरोप हैं कि नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मुंद्रा के बड़े इलाके को बंजर बता कर अडानी समूह को सौंप दिया गया। बाद में अडानी समूह ने वहां मल्टी परपज प्लांट लगाए। इस प्रोजेक्ट में पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी पर अडानी समूह पर 200 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया है। हालांकि केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद जुर्माने को माफ करने की कोशिशे लगभग पूरी हो चली हैं
फिलहाल स्टीफन जब मुंद्रा पहुंचे तो उन्होंने अडानी समूह के कामकाज का पता लगाना शुरु किया। कई लोगों से साक्षात्कार किए और कई जगहों को रिकॉर्ड किया। इसी बीच स्टीफन जिस होटल में ठहरे थे वहां पुलिस के कई अधिकारी सादी वर्दी में पहुंच गए। उन्होंने स्टीफन से पूछताछ की। पूछताछ भी कुछ इस अंदाज में मानों वो किसी का हुक्म बजा रहें हों। स्टीफन इस बात से डरे थे कि कहीं पुलिस उनके रिकॉर्ड किए गए वीडियो टेप्स को क्षति ना पहुंचा दे। हालांकि कुछ खास न मिलने पर पुलिस वाले होटर से चले गए। इस दौरान उनपर काम के दौरान भी उनपर नजर रखी गई। स्टीफन ने ये सब अपने खुफिया कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया। स्टीफ़न ने बताया, “ हमसे क़रीब पाँच घंटे तक पूछताछ की गई। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इस दौरान बार-बार मोबाइल पर बात करने के लिए कमरे से बाहर जाता था और लौटने पर उसका रुख़ और सख़्त हो जाता था। वे लोग अच्छी तरह जानते थे कि हम वहाँ क्यों आए हैं, लेकिन कोई भी ए (अडानी) शब्द मुँह से नहीं निकाल रहा था। पुलिस ने हमसे कहा कि अगर हम लोग वापस नहीं गए तो तीन ख़ुफ़िया एजेंसियों के लोग अगले दिन पूछाताछ करने आएँगे और हम लोगो जहाँ भी जाएँगे, क्राइम स्कावड के जासूस और स्थानीय पुलिस साथ होगी। ”
“Everybody was avoiding the ‘A’ word – Adani.” The #4Corners crew were questioned on and off for 5 hours by Indian police: pic.twitter.com/GkjByUCPc0
— 4corners (@4corners) October 2, 2017
स्टीफन ने इसे फोर कार्नर्स के ट्वीटर अकाउंट पर साझा किया है। इसके बाद स्टीफन भारत से वापस लौट गए। ऑस्ट्रेलिया पहुंच कर स्टीफन ने अपनी रिपोर्ट पूरी की। रिपोर्ट में अडानी समूह को ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में चर्चित देश के सबसे बड़े कोल ब्लॉक को आवंटित करने पर सवाल उठाए गए हैं। आस्ट्रेलिया में क्वींसलैंड का ये कोल ब्लॉक पर्यावरणीय नियमों को लेकर चर्चाओं में। वहीं भारत में भी अडानी समूह के इस कोल ब्लॉक के लेने पर सवाल उठे थे। आरोप हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गौतम अडानी के साथ अपने पुराने संबंधों की वजह से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पर अडानी समूह को लोन देने का दबाव बनाया और लोन दिलवाने में कामयाब रहे।
What do we know about @gautam_adani? The man behind the company looking to set up one of the world’s biggest coal mines #4Corners pic.twitter.com/r8LS0UMbae
— 4corners (@4corners) October 2, 2017
फिलहाल जल्द ही अडानी समूह के कामकाज का ऑस्ट्रेलिया की मीडिया पोस्टमार्टम शुरु करने वाली है। अगर अब आप उम्मीद कर रहें हैं कि भारत की मीडिया भी ऑस्ट्रेलिया की मीडिया के नक्श ए कदम पर चलते हुए औद्योगिक घरानों के कामकाज की समीक्षा करने की हिम्मत जुटा पाएगी तो याद रखिए कि ये क्रिकेट मैच नहीं चल रहा है।