आज एक ही बात मन में आती है की आख़िर हम और आप कब तक औरों का वार सह सकते हैं पाकिस्तान को हम एक नही सौ सबूत दे चुके हैं लेकिन पाकिस्तान है की हमारे दिए हर सबूत को सिरे से नकारता चला गया है लाख कोशिशों के बाद उसने ये माना है की कसाब उसका ही नागरिक है ….अब सवाल यह उठता है की पाकिस्तान के यह मान लेने से आख़िर क्या होगा…..क्या भारत के ऊपर होने वाले आतंकवादी हमले आगे नही होंगे इसकी गारेंटी मिल जायेगी….क्या बेगुनाहों का खून आगे नही बहाया जायेगा……मुंबई में हुए हमलों में मारे गए भारतीय हो या आसाम में कश्मीर हो या बंगलोर आख़िर मर तो रहे भारतीय ही हैं….क्या यह सिलसिला रुकेगा…कोई जवाब नही है हमारे हुक्मरानों के पास…..वोह खोखले वादे और कोशिशों के जरिये इस विशाल देश को आतंकवाद से मुक्ति दिलाने में जुटे हैं….लगता नही है की कुछ हो पायेगा….जब तक हम आप आगे नही आयेंगे तस्वीर बदलेगी यह नही कहा जा सकता है…..अब सोचना यह होगा की आख़िर हम कर क्या सकते हैं…. कुछ बताएं
आशीष जी बड़े दुःख की बात है लेकिन हमें स्वीकार करनी पड़ेगी कि ऐसी घटनाएँ हमारे देश के लिए अब इतनी आम हो चुकी हैं कि बाहर के लोगों की छोडिये, आपने देश के लोग भी अब इन्हे अपने रोजमर्रा की जिन्दगी का हिस्सा मान चुके हैं. पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से ज्यादा लोग नक्सली हिंसा, आपसी कलह, असामाजिक तत्वों की हिंसा आदि में मारे जा रहे हैं. राजनैतिक और सामाजिक नेतृत्व, जिन्हें इस बारे में कुछ सोचने और करने की जरूरत है, वे अपने स्वार्थ साधना में लगे हैं. संवेदनशील आम आदमी ऐसे ही अपने आप में कुढ़ता और मरता रहेगा. आप और मै भी उन्ही में से एक हैं.
विनोद श्रीवास्तव
sahi baat hai..sochna hame he hai..aur jo karna hai wo hame hi karna hai…